अफसर बैठक करते रहे और खुले नाले में समा गई जिंदगी

लखनऊ।एसी कमरों में बैठकें होती रहीं। महापौर, नगर आयुक्त दावे करते रहे। लेकिन नालों की सफाई नहीं हुई, न ही सीवरों के ढक्कर ठीक करवाए गए। ठाकुरगंज ही नहीं शहरभर में ऐसे नालों व खुले मैनहोलों की भरमार है, जिसकी चपेट में आकर कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। पेंटर सुरेश की मौत के बाद भी नाले को ढका नहीं गया…ऐसी लापरवाहियों की फेहरिस्त लंबी है। नगर निगम अफसर लापरवाही की चादर ओढ़कर सो रहे हैं और आम जनता काल के गाल में समा रही है। सुरेश लोधी की मौत के बाद भले ही मुख्यमंत्री के निर्देश पर जिम्मेदारों पर गाज गिरी हो।

ठेकेदार व पार्षद पर मुकदमे दर्ज हुए हों। पर, उन लापरवाह अफसरों का क्या, जो बैठकें करते रहे, लेकिन जमीनी हकीकत से कभी भी रूबरू नहीं हुए । सुरेश लोधी की मौत के मामले में लापरवाही से जान जाने की दो अलग-अलग एफआईआर दर्ज कराई गई है। एक मुकदमा सभासद और दूसरा सफाई कंपनी, ठेकेदार के खिलाफ हुआ है। इंस्पेक्टर ठाकुरगंज श्रीकांत राय ने बताया कि पहली एफआईआर सुरेश की पत्नी रेनू ने दर्ज कराई है। उन्होंने आरोप लगाया कि खुले नाले को लेकर सभासद सीबी सिंह से कई बार शिकायत की गई थी। जनसुनवाई पोर्टल पर भी लोगों ने शिकायत दर्ज कराई। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई और सुरेश की नाले में डूबकर मौत हो गई।दूसरी एफआईआर अधिशासी अभियंता झिल्लू राम ने अनिका इंटर प्राइजेज और ठेकेदार अंकित कुमार के खिलाफ कराई है। उनका आरोप है कि कैटिल पुलिया के पास नाले की सफाई के बाद पत्थर को नहीं रखा गया। इस वजह से सुरेश उसमें गिरे और उनकी मौत हो गई। दोनों ही केस बीएनएस की धारा 106(1) के तहत दर्ज किए गए हैं। इसमें पांच साल तक की कैद और जुर्माने का प्रावधान है।

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